Gulamgiri by Jotirao Phule 1.0

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奴隷制度 - グラムギリ バイ ジョティラオ・フーレ 偉大な社会改革者–マハトマ・フーレは、19世紀のマハラシュトラ州の社会改革者の間でユニークな地位を占めています。当時、合理主義者と正統派の間には対立がありました。したがって、彼の時代は、マハラシュトラ州だけでなく、教育、カーストシステム、農業、経済、女性と未亡人の高揚、人権、アンタッチャビリティ、社会的平等のような様々な分野で国全体の歴史の革命の夜明けとして適切に記述することができます。マハトマ・フーレは、人類を理解し、奴隷制から抜け出すために人々を弱めようとしました。

महात्मा जोतिबा फुले ऐसे महान विचारक, समाज सेवी तथा क्रांतिकारी कार्यकर्ता थे जिन्होंने भारतीय सामाजिक संरचना की जड़ता को ध्वस्त करने का काम किया। महिलाओं, दलितों एवं शूद्रों की अपमानजनक जीवन स्थिति में परिवर्तन लाने के लिए वे आजीवन संघर्षरत रहे। सन 1848 में उन्‍होंने पुणे में अछूतों के लिए पहला स्‍कूल खोला। यह भारत के ज्ञात इतिहास में अपनी तरह का पहला स्‍कूल था। इसी तरह सन 1857 में उन्होंने लड़कियों के लिए स्‍कूल खोला जो भारत में लड़कियों का पहला स्कूल हुआ। उस स्कूल में पढ़ाने के लिए कोई शिक्षक न मिलने पर जोतिबा फुले की पत्नी सावित्री आगे आईं। अपने इन क्रांतिकारी कार्यों की वजह से फुले और उनके सहयोगियों को तरह-तरह के कष्ट उठाने पड़े। उन्हें बार-बार घर बदलना पड़ा। फुले की हत्या करने की भी कोशिश की गई। पर वे अपनी राह पर डटे रहे। अपने इसी म#2375;रहे। अपने इसी महान उद्देश्य को संस्थागत रूप देने के लिए जोतिबा फुले ने सन 1873 में महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज नामक संस्था का गठन किया। उनकी एक महत्वपूर्ण स्थापना यह भी थी कि महार, कुनबी, माली आदि शूद्र कही जानेवाली जातियाँ कभी क्षत्रिय थीं, जो जातिवादी षड्यंत्र का शिकार हो कर दलित कहलाईं।

バージョン履歴

  • バージョン 1.0 に転記 2016-10-23

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